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हम विवेक कर पायेंगे कि ब्रह्माण्ड में हम महानतम जीवात्माओ हैं। हम जानेंगे कि परमेश्वर सचमुच हर पल हमारे लिए मौजूद है। क्योंकि बिना हमारे कुछ किए ही चमत्कारों घटित होंगे, बिना हमें स्वर्ग और पृथ्वी को पुकारे, बिना हमें घुटनों के बल बैठकर घंटों प्रार्थना करने, या किसी प्रकार की जादुई औषधि लेने, या नाचने, कूदने, या कुछ भी करने - उल्टा, अंदर से बाहर, जो भी हो - की आवश्यकता नहीं होगी। हमें ऐसा कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि ईश्वर सर्वशक्तिमान है, और वह ईश्वर हमारे भीतर ही निवास करता है। हम सभी के लिए यह सबसे बड़ा आश्चर्य है कि यद्यपि हम यह जानते हैं, यद्यपि हम यह विश्वास करने का प्रयास करते हैं, फिर भी हम इस वास्तविकता को समझ नहीं पाते हैं कि हम अंदर से ईश्वर के अलावा कुछ भी नहीं हैं। तो, मैं आपको इस सत्य की याद दिलाने के लिए यहां हूं, और स्वयं आप को इसे अभीज्ञ कराने में भी मैं मदद करूंगी, क्योंकि दूसरों का बताया ज्ञान, फिर भी, दूसरों का ही होता है। केवल वह सत्य जो आप स्वयं जानते हैं, सदैव बना रहेगा। […]एक बार जब हम घर जाने का फैसला कर लेंगे, तो हमारे पास अनुरक्षकों का पूरा समूह होगा, और मैं आपको उन्हें भी दिखाऊंगा। यदि आप मेरे मार्ग पर चलेंगे तो आप स्वयं उन्हें मार्ग में देखेंगे। क्योंकि यह ग्रह, यह भौतिक सृष्टि ही एकमात्र नहीं है। ईश्वर के घर में हमारे पास बहुत सारे भवनों हैं, और ये भवनों जीवात्माओं से भरे हुए हैं - अद्भुत जीवात्माओं, हमारे जैसे अद्भुत, या किसी तरह से अधिक अद्भुत, अधिक ज्ञानवान। और जब हम घर वापस जाने की यात्रा पर होते हैं तो वे हमारी सहायता करते हैं। और यह एक बहुत, बहुत अद्भुत यात्रा है। जो कोई भी यात्रा करता है, वह इसका तुरंत भरपूर आनंद उठाता है। और हम इसका और भी अधिक आनंद लेते हैं, क्योंकि यह इस ग्रह पर हमारे जीवन को और भी बेहतर बनाता है। […]Photo Caption: लाइन पर चलें, बारिश हो या धूप